#acharyaprashant
वीडियो जानकारी: 22.12.23, गीता समागम, ग्रेटर नॉएडा
प्रसंग:
इमं विवस्वते योगं प्रोक्तवानहमव्ययम् ।
विवस्वान्मनये प्राह मनुरिक्ष्याकSवेवीत ||
(भगवद् गीता 4.1)
ऐसा कोई काल नहीं, कृष्ण जब होते नहीं,
नाम अलग संग्राम वही, गीता धार बहती रही ।
(आचार्य प्रशांत द्वारा काव्यात्मक अर्थ)
संगीत: मिलिंद दाते
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